बाबा के ख़रीदे फूफा और जेएनयू
बाबा के खेत बेच फूफा ख़रीदे गए थे| शहरी संभ्रांत और सरकारी अफ़सर फूफा| घरवालों की सोच बन चुकी थी कि घर की बेटियाँ अब किसानों के घर नहीं जाएँगी| हांडी की कालिख़ धोते पूरी ज़िन्दगी निकल जाएगी| अफ़सर दामाद खोजने का फायदा ये भी रहा कि गाँव-जवार में धाक तो जमेगी ही, केस-फ़ौजदारी में फँसने पर दामाद पैरवी करेगा| ख़ैर...